लेखनी कहानी -05-Jan-2023 (22)अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है ( मुहावरों की दुनिया )
शीर्षक = अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
जैसा की मानव की छुट्टियां अब ख़त्म होने को थी, और उसी के साथ साथ उसके मुहावरों पर आधारित कहानियाँ आधे से ज्यादा हो गयी थी, समय भी कम था और कहानियाँ अभी बाकी थी, और अब तो उसके पापा भी आ गए थे
इसलिए आज रात मानव अपने पापा मम्मी के पास ही सोने वाला था, और उसी के साथ साथ उसे एक और मुहावरा भी पूरा करना था, ताकि समय रहते वो उस टास्क को कम्पलीट कर ले जो उसकी अध्यापिका ने दिया था
"क्या बात है, मानव बेटा काफी परेशान लग रहे हो?" राधिका ने पूछा
"कुछ नही मम्मी, बस स्कूल की छुट्टियां ख़त्म होने वाली है, इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा है, फिर हम लोग यहाँ से चले जाएंगे फिर नही पता कब आना होगा, क्यूँ न दादा दादी को भी अपने साथ ले चले " मानव ने कहा
"बेटा, तुम सही कह रहे हो, लेकिन तुम्हारे दादा और दादी यहाँ से नही जाएंगे, क्यूंकि यहाँ खेत है, जिनकी देखभाल उन्हें करना होती है "आशीष ने कहा
"तुम्हारे पापा सही कह रहे है, लेकिन हम लोग आते रहेंगे जब भी तुम्हारी छुट्टी हुआ करेगी, स्कूल की " राधिका ने कहा
"ठीक है, हम जल्द ही वापस आएंगे, दादा दादी से मिलने " मानव ने कहा
"ये हुयी न अच्छे बच्चों वाली बात, अच्छा बताओ तुम्हे आज कौन सी कहानी सुनना है, पारियों की या फिर राजकुमार की" राधिका ने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा
"मुझे कहानी तो सुननी है, लेकिन मेरे मुहावरें के ऊपर, ताकि मेरा एक और मुहावरा पूरा हो जाए " मानव ने कहा
"अच्छा! दिखाओ कौन सा अगला मुहावरा है " राधिका ने कहा
ये देखिये " अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है " मानव ने झट से पास रखी कॉपी में पढ़ कर सुनाते हुए कहा
"अच्छा, सोचती हूँ, शायद कोई कहानी निकल आये, इस मुहावरें से मिलती झूलती " राधिका ने कहा
आशीष जो की मन ही मन मुस्कुरा रहा था, उसे देख राधिका बोली " क्या बात है? आप बड़ा मुस्कुरा रहे है "
"कुछ नही बस यूं ही, कुछ याद आ गया, इस मुहावरें से मिलता झूलता " आशीष ने कहा
"तो हमें भी बताइये " राधिका ने कहा
"हाँ, पापा बताइये न " मानव ने ज़िद्द करते हुए कहा
"ठीक है, ठीक है बताता हूँ, बात है उन दिनों की जब मैं कक्षा 9 में शहर में दाखिला लिया था और बारहवीं तक उसी स्कूल में रहा और बाद में नीट की तैयारी करने चला गया था
हमारे साथ एक लड़का पढता था, हमेशा पहली सीट पर बैठता था और हर विषय में अच्छा था, जिसके कारण अध्यापक उसे बहुत अच्छा समझते थे,
वही हम लोग थोड़ा पढ़ाई के साथ साथ मौज मस्ती में भी थे, ज्यादा अच्छे अंक भी नही ला पाते थे जिस कारण अध्यापक हमें नालायक बच्चों में गिनती थी, भले ही हम उनकी नज़रो में नालायक थे लेकिन हम चीज़ो को समझ कर पढ़ते थे, ज्यादा नही कम पढ़ते थे लेकिन जितना भी पढ़ते थे मन से पढ़ते थे, रट्टा तोता नही थे
उसके साथी बताते थे, की वो सुबह चार बजे उठ जाता है, पढ़ाई करने के लिए, अध्यापक भी हमें उससे कुछ सीखने की हर पल सलाह देते रहते थे
लेकिन हम दिखावे के लिए नही पढ़ते थे, जहाँ दसवीं और बारहवीं में हमने 60% और 70 % हासिल किए वही उसने दोनों कक्षाओं में 90,90 % अंक प्राप्त किए
जिसके बाद अध्यापकों और उसके अभिभावकों को लगने लगा की उनका बेटा, उनका नाम रोशन अवश्य करेगा इसलिए वो भी हमारे साथ नीट की तैयारी करने चला गया
लेकिन नीट की तैयारी में रटना काम नही आता बल्कि दिमाग़ लगा कर सवालों को हल करना होता है, जो की शायद उसके लिए थोड़ा कठिन था, कुछ महीनों की कोचिंग के बाद हमने परीक्षा दी जिसमे हम तो पास हो गए लेकिन वो हमारा दोस्त रह गया, एक बार में कभी कभी तीर निशाने पर नही लगता है, इसलिए दूसरा प्रयास करना चाहिए यही सोच कर उसने दोबारा तैयारी की और इस बार भी वो नाकाम रहा, जिसके बाद सब को लगने लगा कि " अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है " ये मुहावरा इसके ऊपर सही बैठता है, क्यूंकि वो स्कूल में तो जैसे तैसे करके रट्टा मारकर, अध्यापकों कि सप्पोर्ट से अच्छे अंक ले आया था और अपने आप को शेर समझने लगा था लेकिन जब उसका सामना उससे भी बड़े बड़े धुरंधरों से हुआ तब उसे पता लग गया और साथ ही साथ और लोग भी जान गए
फिर बाद में उसने युक्रेन जाकर, MBBS किया और अब वही पर है
अब समझ आ गया बेटा, अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है, इस मुहावरें का अर्थ, " आशीष ने कहा
"जी पापा, समझ आ गया और ये भी की पढ़ाई रटने का नाम नही,समझ कर थोड़ा थोड़ा करके पढ़ने का नाम है " मानव ने कहा
उसकी बात सुन राधिका और आशीष ने उसे प्यार से हग किया
मुहावरों की दुनिया हेतु
अदिति झा
11-Feb-2023 12:09 PM
Nice 👌
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Varsha_Upadhyay
10-Feb-2023 09:01 PM
Nice 👍🏼
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
09-Feb-2023 10:55 PM
👏👏👏
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